Sale!

श्री कृष्ण चरित मानस पीडीऍफ़

इस पुस्तक के प्रथम भाग में वंदना सृष्टि रचना श्री कृष्ण जन्म, पूतना, सकटासुर, वकासुर आदि राक्षसों का वध, शिव दर्शन लीला, वस्त्र हरण,गोवर्धन, काली दह लीला, नन्द गांव गमन, यमलार्जुन उद्धार एवं महारास लीला आदि का वर्णन है।दूसरे भाग में – कुविलियापीढ हाथी, चाढूर,मुस्टिक मल्लो के साथ कंस वध लीला, उद्धव लीला , कुविचार मिलन, जरासंध युद्ध, कालियवन को भस्म कराना,आदि लीलाओं का वर्णन है। तृतीय भाग में – रेवती विवाह, रुक्मणी एवं अन्य सात रानियों का विवाह, भोमा सुर को मारकर 16100 कन्याओं की सामाजिक प्रतिष्ठा को बचाने हेतु विवाह करना, माया सुर, सतधन्वा वध, मुरा असुर, पौंड्रक, काशीराज वध, की लीलाएं, द्रोपती स्वयंबर, सुभद्रा विवाह, प्रद्युम्न विवाह, शाम्व विवाह, आदि लीलाओं का वर्णन है। चतुर्थ भाग में – जरा संन्ध, शिशपाल, दन्त वक्र वध,घटोत्कच,अभिमन्यु, द्रोण, भीष्म, कर्ण, दुर्योधन, शकुनी, आदि का वध, गांधारी श्राप, युधिष्ठिर का राज्याभिषेक, द्वारकागमन, आदि लीलाओं का वर्णन है। पंचम भाग में – श्री कृष्ण और शिव जी का युद्ध, अनिरुद्ध विवाह, देवकी पुत्रों की वापसी की कथा, सुदामा श्री कृष्ण मिलन, श्री कृष्ण परायण,भक्त नरसी का जीवन वृतांत, श्रीकृष्ण चालीसा, विष्णु चालीसा एवं आरती आदि का वर्णन किया गया है

Description

भक्तों यह एक पुस्तक नहीं, यह एक एक ग्रन्थ है। यह आपकी, भगवान श्री कृष्ण के प्रति आस्था एवं विश्वास पर आधारित है जैसे कहा गया है कि “मानो तो देव नहीं तो पत्थर” जहां प्रभु की लीलाओं का गुणगान हो रहा हो वह स्थान पवित्र माना जाता है प्रभु की लीलाओं का गुणगान करने वाले सन्त पूजनीय होते हैं ,इसी प्रकार जिस पुस्तक में प्रभु की लीलाओं का वर्णन हो वह पुस्तक भी पूजनीय अर्थात ग्रंथ बन जाती है। ऐसा ग्रंथ जिसके द्वारा संगीतमय स्वर लहरियों में प्रभु की लीलाओं को पढ़ने और सुनने से व्यक्ति का मन एकाग्र व आनंदित हो जाता है और अभ्यास करते-करते प्रभु चरणों में पूर्णतया समर्पित हो जाता हो, सम्मानीय ही है। इसी आशा और विश्वास के आधार पर इस ग्रंथ की रचना की गई है इससे पूर्व ऐसे किसी ग्रंथ की रचना नहीं हुई है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण के संपूर्ण जीवन (प्राकट्य से परायण तक) की लीलाओं का विवरण क्रमबद्ध हो। यह पुस्तक चौपाई, दोहा, सोरठा व छंद की विधा में, सरल भाषा में टीका सहित लिखी गई है।

इस पुस्तक के साथ अपने इष्ट भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र चित्रण के अनुसार “श्री कृष्ण चालीसा” की रचना की गई है ! भगवान श्री कृष्ण श्री हरि विष्णु जी के अवतार हैं अतः इस पुस्तक में “श्री विष्णु चालीसा” की रचना भी की गई है। इससे भी उत्तम बात यह है कि श्री कृष्ण चरित मानस या “श्री कृष्ण चालीसा” का पाठ करने या कराने के बाद किए जाने वाले हवन के लिए भगवान श्री कृष्ण के 108 नामों की आहुतियो की रचना की गई है। भगवान श्री कृष्ण के 108 नामों का उच्चारण, वाचन या मनन करना लाभदायक है, इसी प्रकार 108 नामों की हवन में अहुतिया देना अत्यन्त लाभदायक है। इस पुस्तक को पांच भागों में बांटा गया है। जिसमें मथुरा गोकुल नंद गांव द्वारिका हस्तिनापुर की सभी घटनाओं का क्रमबद्ध वर्णन किया है भगवान श्री कृष्ण को लीला पुरुषोत्तम कहा गया है अर्थात उनके द्वारा गठित सभी घटनाओं का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता था, इसलिए उनकी प्रत्येक घटना एक लीला के रूप में होती थी, जिस प्रकार गोपियों के वस्त्र हरण की लीला से प्रभु ने उनको यह शिक्षा दी कि नदी में रात के समय भी नग्न होकर नहीं नहाना चाहिए।

 

Reviews

There are no reviews yet.

Add a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *